“वर्धा मंथन” से मिली कुछ ‘कार्य’, ‘व्यक्ति’ और ‘सरोकार’ को दिशा
‘व्यक्ति’ से बड़ा ‘दल’ और दल से बड़ा ‘देश’ वैसे तो यह परिभाषा सबसे पहले गोविन्दाचार्य जी से सुनी है | गोविन्दाचार्य जी, यानि श्री के एन गोविन्दाचार्य इसका हमेशा उल्लेख करते है | इसी भावना से अपने दल, विचार, और अन्यान्य कोटरों से बाहर निकल कर ,कई कारीगर,चिंतक, लेखक, विचारक “वर्धा मंथन” में ६-७ फरवरी को जुटे | एक शब्द में…